Re: Sadhana
आकल्पजन्मकोटीनां यज्ञव्रततपः क्रियाः |
ताः सर्वाः सफला देवि गुरुसंतोषमात्रतः ||
हे देवी ! कल्प पर्यन्त के, करोंड़ों जन्मों के यज्ञ, व्रत, तप और शास्त्रोक्त क्रियाएँ, ये सब गुरुदेव के संतोषमात्र से सफल हो जाते हैं i.e. O Devi, by the mere satisfaction of the Guru, all sacrifices, austerities, penances, and rites practiced in crores of births, in crores of Kalpas (world cycles), become fruitful
गुरुमंत्र का अर्थ समझ कर जप करो
तो ऐसा कोई सामने वाले की रूचि और योग्यता देखकर मंत्र देने वाला कोई ब्रह्मज्ञानी गुरु मिल जाये, मंत्र का अर्थ समझा दे, और आप “अर्थ समझ कर मंत्र जप करते हैं”, तो करोडों करोडों गुना जादा हितकारी और मंगलकारी है ! इसी जनम में आप को ऐसी ऊँचाई पे रख देगा, कि मनमानी 50 जनम की साधना, उसके आगे कोई माना नहीं रखती….
Last edited by dhyandev; 10 July 2012 at 12:56 PM.
Reason: more info
तद्विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया ।
उपदेक्ष्यन्ति ते ज्ञानं ज्ञानिनस्तत्वदर्शिनः ॥
उस ज्ञान को तू तत्वदर्शी ज्ञानियों के पास जाकर समझ, उनको भलीभाँति दण्डवत्* प्रणाम करने से, उनकी सेवा करने से और कपट छोड़कर सरलतापूर्वक प्रश्न करने से वे परमात्म तत्व को भलीभाँति जानने वाले ज्ञानी महात्मा तुझे उस तत्वज्ञान का उपदेश करेंगे. श्रीमद्*भगवद्*गीता-4.34
Bookmarks